बंधुओ! यहाँ कामरस पीकर
आप अपनी प्यास बुझा नहीं सकते।
प्यास बुझाने के लिए तो इस संसार में
एकमात्र पानीय “रामरस” ही है।
यहाँ जिसने भी रामनाम का रस पीया
वह सिद्ध हो गया, तृप्त हो गया, अमृत हो गया।
इसलिए आप सब भी
"राम रस" पीओ, "काम रस" नहीं ।
- स्वामी सत्यप्रज्ञानन्द सरस्वती
No comments:
Post a Comment