Sunday, July 18, 2021

Prajna Mantra 10

लोग दुनिया में दुख में जीते हैं, 
विषाद में जीते हैं 
क्योंकि 
वे निरन्तर 
दूसरों का दोषदर्शन करते हैं। 
जो व्यक्ति दूसरों का 
दोष दर्शन करता है 
वह न तो भक्त बन सकता है 
और न ही ज्ञानी। 
भक्ति अथवा ज्ञान के मार्ग पर 
चलने के लिए 
नेत्र निर्दोष होने चाहिए। 
प्रेम की निर्दोषता ही तो 'राधा प्रेम" है ।

No comments:

Post a Comment

Prajna Mantra 14

* प्राज्ञ मंत्र * गुरु एक जलता हुआ दीपक है  और शिष्य - जलने के लिए प्रस्तुत एक अन्य दीपक ।  जब उस अन्य दीपक का  गुरु रूपी जलते हुए दीपक से  ...