Wednesday, August 11, 2021

Prajna Mantra 13

* प्राज्ञ मंत्र *
गुरु और शिष्य के बीच में 
संबंध ज्ञान का होता है, 
धन का नहीं। 
प्रेम का होता है, 
वासना का नहीं ।
आत्मा का होता है, 
देह का नहीं ।
ध्यान रहे - 
शिष्य में ज्ञान की कमी होती है 
और अज्ञान की प्रबलता
जबकि गुरु में 
ज्ञान की पूर्णता होती है 
और अज्ञान की शून्यता। 
इसलिए 
ऐसे ज्ञान-प्रेम-स्वरूप 
गुरु के संस्पर्श में 
जो भी भाग्यवान आ जाता है,
उसका भाग्योदय हो जाता है एवं 
अन्ततः वह भी 
ज्ञान-प्रेम स्वरूप बनकर 
सर्वत्र परमात्मा का दर्शन करते हुए 
अहोभाव से भर जाता है 
और धन्य हो जाता है। 
               - - -
(पूज्यपाद सद्गुरुदेव श्री स्वामीजी महाराज के प्रवचन से ...                                                  ~ एड्मिन )

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